खुला है आसमां निचे घना है कारवा ,क्यो ?न उन्मुक्त हो घूम आए ?
सुनहरी धुप में पंख अपने फैला आए ?
उडे दूर -दूर तक ,चिंतावो के बादल ख़ुद ही छट जाए|
जीवन के इस क्षण में और नया जीवन कोई जी आए|
हो दूर - दूर तक शान्ति "खुशियों की बगिया में जाए|
बह रही जहाँ अमृत की धारा ,क्यो ?न जन्मो की प्यास बुझा आए ?
अंतस की पीडा वही भुला आए .मिले सूर्य कही मुस्कुराता ,
"शुभप्रभात" उसे भी कह आए |
1 टिप्पणी:
शुभप्रभात कहने आया है - मन का टेसू!
मन की बात बताने आया - मन का टेसू!
ख़ुशियों की बगिया में अमृत की धारा है!
रवि की मुस्काहट ने पीड़ा को मारा है!
एक टिप्पणी भेजें