नन्हे हाथो में एक निवाला ।
कहा गये तुम चाँदी का प्याला ?
देखो ,भविष्य का उजियाला ।
भूखा -नंगा ,जग है मतवाला ।
खा रहा गिर कर हर इंसान ।
आओ करो इसका सब सम्मान ।
ये गिरे को जो खा रहा है ।
कल को खुद कंधे में उठा रहा है ।
ये मासूम कलि है इसे खिलने दो ।
नन्हे हाथो में जूठन न मलने दो ।
इन्हें ह्रदय से लगा लो अपने
भूख में ना अब इसे पलने दो "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें