गुरुवार, 19 जनवरी 2012


नन्हे हाथो में एक निवाला ।

कहा गये तुम चाँदी का  प्याला ?

देखो ,भविष्य का उजियाला ।

भूखा -नंगा ,जग है मतवाला ।

खा रहा गिर  कर  हर इंसान ।

आओ करो इसका सब सम्मान ।

ये गिरे को जो  खा रहा है ।

कल को खुद कंधे में उठा रहा है ।

ये मासूम कलि है इसे खिलने दो ।

नन्हे हाथो में जूठन न मलने दो ।

इन्हें ह्रदय से लगा लो अपने 

भूख में ना अब इसे पलने दो "






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